Tuesday, March 27, 2018

बड़ी खबर

बड़ी खबर
*********
मुरारी के घर आज दावत थी। पूरे गांव को न्यौता भेजा था। पूरे गांव में चर्चा का विषय बना था कि आखिर मुरारी को आज कौन सी लॉटरी लग गयी है जो पूरे गांव को भोजन करा रहा है।
"अरे!बंशी तुमको पता है ,मुरारिया कहे भोज दिया है सबको?"सुगन चाचा ने बड़े उतावले से होकर बंशी से पूछा।
"नै काकू,हमरे घर भी यही बोलिस है कि आज पूजा और दोपहर का भोजन का न्यौता है। भगवान जाने! आजतक तो कहियो एक ढेला खरच नै किया है मुरारिया।" बंशी ने अनमने ढंग से जवाब दिया।
"जरूर कोनो लॉटरी लग होइ तबे इकर घर पूजा पाठ और भोज भंडारा होवत होउ" सुगन चाचा के स्टब साथ पूरे गांव को आश्चर्य हो रहा था कि आखिर जो मुरारी एक एक पाई को संभाल के रखता है रोज कमाता और खाता है उसके पास इतना पैसा कैसे हो गया कि पूरे गांव को न्यौता दे बैठा।
"अरे!चल न काकू,हमनी के तो खाय से मतलब हो नी। अब लॉटरी लगे चाहे डकैती करे। का मतलब हो।" पीछे पीछे चलते सोहन भी दोनों की बातें सुन रहा था।
"हाँ ! चल वहीं देखब का माजरा है।हमीन के खाय से मतबल हो कि ने!" सुगन चचा सरेंडर की मुद्रा में आ गए थे।
मुरारी ने मुझे भी न्यौता दिया था। बहुत पहले ऑफिस में मजदूरी का काम करते उससे भेंट हुई थी। बहुत ही हंसमुख और मिलनसार। ऑफिस के सभी स्टाफ को बड़े अदब और इज्जत से बात करता। जाते वक्त उसने मेरा नम्बर अपने पास रख लिया था।
"सर!आप अपना नम्बर दे दीजिए न।कुछ घटना दुर्घटना होगा तो आपको खबर करेंगे"
चूंकि हम पत्रकारों के लिए ऐसे कई स्रोतों की जरूरत होती है जो तुरन्त खबर कर दे। मैंने अपना नम्बर दे दिया। आज सुबह सुबह फोन आया तो आदतन उठा लिया।
"हेलो सर!हम मुरारी बोल रहे हैं। आपके ऑफिस में काम किये थे।याद है कि भूल गए।"फोन पर मुरारी था।
यूँ तो रोज सैकड़ों फोन आते हैं सबको याद रखना सम्भव नही होता। लेकिन मुरारी की आवाज पहचान लिया।
"अरे!हाँ मुरारी बोलो,कुछ खबर है क्या?"मुझे लगा सुबह सुबह कोई दुर्घटना हो गयी क्या।
"हाँ सर!है बड़ी खबर।लेकिन उसके लिए मेरे गाँव मेरे घर पर आना होगा। आइयेगा न प्लीज! "मुरारी के रिक्वेस्ट को मैं मना नही कर पाया।
"हाँ! ठीक है मैं आ जाऊंगा।"कहकर मैने फोन काट दिया।
दिनभर खबरों की भागदौड़ में मैं भूल गया था। तभी फिर मुरारी का फोन आया "सर !आइए न आपका ही इंतजार कर रहे हैं।प्लीज!
"ठीक है आता हूँ" पता नही मुरारी के आग्रह में क्या खिंचाव था कि मैं उसके गांव पहुंच गया।
नामकुम जाने के रास्ते घाघरा छोटा सा आदिवासियों का गांव था।मुरारी का वहीं घर था। गांव में उसका घर रोड से कुछ ही फलाँग पर था। छोटा सा खपरैल मकान झंडियों से सजा हुआ था मानो किसी की शादी हो रही है। पूरे गांव की भीड़ लगी थी। मेरी भी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि आखिर क्या न्यूज है जिसके लिए मुरारी इतना आग्रह कर रहा है।
घर के आंगन में पूजा सामग्री रखी थी।एक छोटी सी चौकी को केले के पत्तो से सजाया हुआ था। मुझे लगा कि शायद सत्यनारायण भगवान की पूजा कर रहा होगा। लेकिन करीब गया तो देख कर हैरान रह गया। गांव के बच्चे बूढ़े लोग तो ठठा कर हंस पड़े। मुरारी एक पूजा की चौकी सजाकर उसमें मोबाइल की पूजा कर रहा था।
"अरे!देख ई पगला को।ई तो मोबिलवा का पूजा करत हो रे"
सुगन चचा के प्रश्न का जवाब मिल गया था।
मुझे भी कम आश्चर्य नही लगा कि ये क्या है।" मुरारी इसके लिए परेशान था और यही इसकी सबसे बड़ी खबर थी?" इसी के लिए इतना तामझाम? मुझे याद है ऑफिस में वो हमलोगों को मोबाइल पर बात करते देख उसे बड़ी उत्सुकता होती थी।
"सर!इससे कहीं से भी किसी से भी बात कर सकते हैं?"
हाँ!ये मोबाइल है और दुनिया के किसी कोने में बैठे व्यक्ति से बात कर सकते हैं।"
"कितना दाम का है सर?हमको भी लेना है।" हम खूब पैसा जमा करेंगे और मोबिलवा ले लेंगे।" मुरारी ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा था। आज शायद उसकी ख्वाहिश पूर्ण हो गयी थी। इसीलिए जश्न मना रहा है।
"सर! आप आ गए!, आप ही का वेट कर रहे थे सर। देखिए न मोबाइल खरीद लिए हैं। आप उसका उद्घाटन कर दीजिए।" मुरारी मानो मेरा ही इंतजार कर रहा था।
मैंने उसका दिल रख लिया और मोबाइल को ऑन कर दिया। मुरारी ने जोर ताली बजाई और भगवान की जयजयकार की।
फिर सबको पंगत में बिठा कर पूरी,सब्जी और रसगुल्ले खिलाया। वह उछल उछल कर सबको अपनी मोबाइल दिखा रहा था। मैं आश्चर्य चकित था कि सूचना क्रांति के दौर में जहाँ बच्चा बच्चा आईफोन से खेल रहा है। ऐसे में मुरारी हजार रुपये की खरीद कर जश्न मना रहा है। लेकिन मुरारी तो अपनी ही खुशी में मग्न था। मेहनत मजदूरी कर किसी तरह पैसे बचाकर मोबाइल खरीद पाया था। अब वह भी अपनी मजदूरी बिजनस मोबाइल के जरिये बढ़ा पाएगा। पूजा करने के बाद खुशी खुशी पूरे गांव को पूरी,सब्जी और मिठाई खिलाया। वह बड़ी उत्सुकता से सबको अपना नम्बर भी दे रहा था कि कभी मदद की जरूरत हो तो फोन कीजिएगा। लोग हैरानी से उसे देखे जा रहे थे तो कुछ हंस भी रहे थे। लेकिन मुरारी गदगद था कि मोबाइल भले साधारण है लेकिन अब वह भी मजदूर स्मार्ट बन गया है। यह उसकी पहली सम्पत्ति थी।
मुझे भी आज की सबसे बड़ी खबर मिल गयी थी। कैमरामैन पूरे घटनाक्रम की रिकॉर्डिंग कर रहा था। मैंने मुरारी का इंटरव्यू लिया तो लगा की आज वाकई में किसी बड़े मासूम दिलवाले का इंटरव्यू लिया है। इस खबर को बनाकर आज जितनी खुशी हो रही थी उतनी शायद सीएम या गवर्नर का इंटरव्यू लेकर भी नही हो हुई थी। उस खबर को दिल लगाकर एडिटिंग की और स्पेशल स्टोरी बनाई। डेस्क को भी ये खबर रास आयी और पूरे सप्ताह खूब चली। उस खबर को माह का स्पेशल स्टोरी अवार्ड भी मिला। सच मे मुरारी के पहले ख्वाब को पंख लगते देख मुझे भी काफी खुशी मिली।


✍पंकज प्रियम